Kashmiri kesar : Uttar pradesh महिला किसान ने खेतों उगा दिया ‘कश्मीरी केसर’, अपनाया था ये खास तरीका

Kashmiri kesar उत्तर प्रदेश के रहने वाली एक महिला ने ऐसा कमाल कर दिया है कि उनके चर्चे अधिकारी भी कर रहे हैं। उन्होंने बिना मिट्टी और पानी के कश्मीरी केसर की खेती करके सबको हैरान कर दिया है।

Kashmiri kesar महिला ने इस तकनीक से खेत में उगाया कश्मीरी केसर

Kashmiri kesar केसर की खेती करनी कोई आम बात नहीं है। जब भी आपके सर का नाम सुनते हैं तो आपके दिमाग में एकदम से ही कश्मीर की झलक आ जाती है। क्योंकि कश्मीर ही ऐसी जगह है जहां पर अधिक मात्रा में केसर की खेती होती है।

केवल केसर ही नहीं बल्कि से अखरोट के अलावा अन्य कई महत्वपूर्ण फलों की पैदावार कश्मीर के किसान करते हैं।

ऐसे में अगर हम आपको कहें कि उत्तर प्रदेश की एक महिला ने वहां पर ही एक अनोखी तकनीक को अपनाकर कश्मीरी खेत केसर खेत में उगा दिया है तो क्या आप मानेंगे।

जी हां! उत्तर प्रदेश की मैनीपुरी जिले में रहने वाली शुभा भटनागर ने यह कमाल कर दिखाया है। हैरानी के बाद यह है कि केसर की खेती केवल एक खास प्रकार की मिट्टी और ठंडे इलाके में ही होती है

लेकिन सुबह ने एक खास तकनीक अपनाया है उन्होंने बिना मिट्टी और पानी के एक हाल में कश्मीरी केसर की खेती की है। आईए जानते हैं इस खेती के बारे में विस्तार से…

Kashmiri kesar कश्मीरी केसर उगाने में आई इतनी लागत

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुभा भटनागर केसर की खेती में करीब 25 लाख से भी अधिक रूपए लगा दिए हैं। यानी की हर किसान केसर की खेती नहीं कर सकता है जो इतनी लागत लगाने के योग्य है वही केसर उगा सकता है।

केसर की खेती में इतनी बड़ी लागत आती है इसीलिए हमारे देश में केसर की कमी देखने को मिल रही है। इसका उत्पादन बहुत ही काम हो रहा है।

शुभा ने केसर की खेती करके अपने आसपास के अन्य महिलाओं को भी रोजगार का मौका दिया है। उन्होंने जो यह केसर उगाया है उसे विदेश में एक्सपोर्ट नहीं करेगी।

ये भी पढ़ें – Ujjain mela : Gadhe ki nilami इन बड़े सितारों के नाम पर होती है गधों की नीलामी, किसी का नाम शाहरुख तो किसी का आमिर खान

केसर की खेती के लिए अपनाया यह तकनीक

शुभा भटनागर अपनी जिंदगी में कुछ और करना चाहती थी। लेकिन जब उन्होंने इंटरनेट पर केसर की वीडियो देखी तो उनके मन में केसर उगाने के सूजी। उन्होंने बिना मिट्टी और पानी के साढ़े पांच सो फीट वर्ग वाता अनुकूलित एक हाल में की।

इसके लिए उन्होंने 2 हजार किलो केसर के बीज खरीदे। अगस्त महीने में उन्होंने लकड़ी की तरह ट्रे में केसर के बीजों की बुवाई की और नवंबर में फसल तैयार हो गई।

उनकी सफलता को देखकर जिलाधिकारी ने भी उनकी खूब तारीफ की है।